
हम तो किसी दूसरे की धरती पर नजर भी नहीं डालते, लेकिन इतने नालायक बच्चे भी नहीं हैं कि कोई हमारी धरती मां पर नजर डाले और हम चुपचाप देखते रहें।

वो कहते हैं कि नाश्ता जैसलमेर में करेंगे, आज नाश्ता हम उनका करेंगे। गुरु महाराज ने कहा है कि एक खालसा सवा लाख के बराबर है, आज उनकी बात सच करने का समय आ गया है।

जितना ज्यादा पसीना शांति के लिए बहाओगे उतना ही कम खून युद्ध में बहाना पड़ेगा। आणि मथुरादास...इससे पहले कि मैं तुझे गद्दार करार देकर गोली मार दूं, भाग जा यहां से।

ये धरती मेरी मां है और ये कमीना कहता है ये बंजर-उजाड़ है और सिर्फ बिच्छु और कांटे पैदा करती है। मैं आपसे पूछता हूं सर! जब मां बदसूरत होती है तो क्या बच्चे उससे प्यार नहीं करते। क्या उसकी इज्जत नहीं करते।

आज मरने की बात की है, दोबारा मत करना। दुनिया की तारीख शाहिद है कि मरकर किसी ने लड़ाई नहीं जीती। लड़ाई जीती जाती है दुश्मन को खत्म करके।